भेल प्रोजेक्ट: 13 सालों बाद किसानों के आत्मसम्मान की जीत – विधायक डॉ. परिणय फुके

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प्रतिनिधि। 09 जून
भंडारा। तेरह साल पहले भंडारा जिले के साकोली तालुका के मुंडीपार, खैरी और ब्राह्मणी गांवों के किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीन सरकार को दे दी थी। उन्हें बीएचईएल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) परियोजना के नाम पर नौकरी, रोजगार और औद्योगिक विकास का सपना दिखाया गया था। ऐसा विश्वास था कि इस परियोजना से गांव, जिले और खासकर किसानों का विकास होगा।
लेकिन समय बदल गया। तेरह साल बीत गए। परियोजना शुरू नहीं हुई, नौकरियां नहीं मिलीं, रोजगार के वादे पूरे नहीं हुए। उल्टा किसानों की जमीन चली गई, खेती बंद हो गई और उनका पूरा जीवन अंधकार में चला गया।
विधायक डॉ. परिणय फुके को जब इस अन्याय का पता चला तो, उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू की। उन्होंने मंत्रालय स्तर पर अपनी आवाज उठाई। उन्होंने मुंबई और दिल्ली में बैठकें कीं। उन्होंने उद्योग मंत्री उदय सामंत के साथ विशेष बैठक की और किसानों को न्याय दिलाने का प्रयास किया। कुछ लोग इस परियोजना को दूसरे क्षेत्र में ले जाने की कोशिश कर रहे थे, परंतु डॉ. फुके ने कड़ा रुख अपनाया और भंडारा के किसानों के अधिकार बरकरार रहे। आज ये संघर्ष सफल हुआ है। ये सिर्फ जमीन वापस पाने का मामला नहीं है, ये किसानों के आत्मसम्मान की जीत है।
इस ऐतिहासिक दिन पर विधायक डॉ. परिणय फुके खुद किसानों की जमीन पर गए, हल चलाया, बीज बोए और जमीन को फिर से जीवन देने का काम शुरू किया।
डॉ. फुके ने कहा, “यह लड़ाई ज़मीन के लिए नहीं थी, बल्कि उस ज़मीन पर रहने वाले लोगों के अस्तित्व के लिए थी। यह किसानों के लिए न्याय की लड़ाई थी।”
इस फैसले से किसानों में खुशी का माहौल है। तेरह साल से चल रहा अन्याय दूर हो गया है। किसानों की आंखों में फिर से उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। और इस पूरे संघर्ष के केंद्र में विधायक डॉ. परिणय फुके के सशक्त नेतृत्व की वाहवाही की जा रही है।

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